रोडवेज बसों की कमी का फायदा उठा रही प्राइवेट बसें, लोकल रूटों पर जमा रखा एक तरफ़ा अधिकार
Narnaul News: हरियाणा रोडवेज (Haryana Roadways) बसों की कमी आम सवारियो पर भारी पड़ रही है. जिले में अनेक रूटों पर या, तो रोडवेज की बसे ही नहीं है,या फिर पर नाममात्र को एक दो चक्कर ही लगाती हैं. जिसका फायदा निजी बस ऑपरेटर जमकर उठा रहे हैं. और एकाधिकार सा जमा रख रखा है. निजी बस ऑपरेटरों की मनमानी इस कद्र है कि यह सवारियों से मनमाना किराया वसूल कर रहे हैं.
इनके विरुद्ध रोडवेज के अधिकारी संज्ञान नहीं लेते हैं, और जिनको संज्ञान की पावर है, उस आरटीए विभाग (RTA Department) के अधिकारी एवं कर्मचारियों से यह निजी बस ऑपरेटर सांठगांठ रखते हैं. ऐसा करके यह राज्य सरकार को राजस्व को मोटा नुकसान प्रतिदिन पहुंचा रहे हैं. तथा खुद की जेबे भरने में लगे हुए हैं.
बता दें कि जिला महेंद्रगढ़ में नारनौल में बस डिपो तथा महेंद्रगढ़ में सब बस डिपो बना हुआ है. दोनों का ही संचालन मुख्य रूप से जिला हैडक्वार्टर नारनौल से होता है. नारनौल बस डिपो में इस समय 107 बसें सड़कों पर दौड़ रही हैं, जबकि 20 बसें ऐसी निजी बसे हैं,जो सरकार ने किलोमीटर स्कीम में रोडवेज के तहत ही चलाई हुई है. वैसे तो नारनौल डिपो में लगभग 108 बसे स्वीकृत है. लेकिन इन आंकड़ों पर गौर करें, तो केवल 127 बसे ही सड़कों पर दौड़ रही है. करीब 10 बसे रोजाना खराब होने की वजह से रूट पूरे नहीं कर पाती है. तथा बसों की कमियों का असर सवारियों पर पड़ रहा है. जिसका फायदा निजी बस ऑपरेटर उठा रहे हैं.
किराया वसूली में करते हैं मनमानी
निजी रूटों पर निजी बसें चलती है. उन रूटों पर इन बस संचालकों की पूरी मनमानी चलती है. यह न केवल किराया अधिक वसूलते हैं, बल्कि सवारियों के साथ दुर्व्यवहार भी करते हैं. जो सवारी इनके खिलाफ ईमानदारी की बात करती है, या फिर रोडवेज जितनी ही किराया देती है, उसे बीच रास्ते में ही उतार दिया जाता है. उदाहरण के तौर पर बहरोड से नारनौल आने के लिए एक सवारी बहरोड की वजह बीच गांव नासरपुर में बैठी तो उसे किराया बढ़ बहरोड़ का ही वसूला जाता है. जबकि बहरोड से नासरपुर का किराया 10 रूपए लगता है. जो कम होना चाहिए. लेकिन नासरपुर स्टैंड पर रोडवेज की बसें रूकती नहीं है. ऐसे में निजी बस संचालक बहरोड से नारनौल का पूरा कराया वसूलते हैं.
नारनौल से गुरुग्राम तक भी खूब चलती है प्राइवेट बसें
प्राइवेट बस संचालक इस कद्र हावी है. कि नारनौल गुरुग्राम जैसे प्रमुख कमाई वाले रूट पर भी इनकी भरमार है. अनेक प्राइवेट बसें दिल्ली, गुरुग्राम, नारनौल, झुंझुनू, तक का बोर्ड लगाकर चलाती है. लेकिन कमाल की बात है कि इनके पास-गत्ता काफी यानी अनुमति किसी के पास झुंझुनू तो दूर रेवाड़ी या नारनौल क्रास करने की अनुमति नहीं होती है. लेकिन बोर्ड पर झुंझुनू लिखकर सवारियों को सरेआम धोखा देते हैं. और सवारियों को ठूंस-ठूंसकर भर लेते हैं. गुरुवार देर शाम एवं शनिवार शाम को गुरुग्राम से नारनौल की तरफ आने के लिए प्राइवेट बसों की छत तक सवारियां भरी होती है.
नहीं देते हैं किसी को टिकट
रोडवेज बसों में टिकट का नियम है. लेकिन प्राइवेट बसों में कोई नियम नहीं है. सवारियों से किराया तो लेते हैं, लेकिन टिकट नहीं देते हैं किराया भी मनमाना होता है. तथा पांच दस रुपए की प्रति सवारी हेराफेरी कर ही लेते हैं. पता करने पर निजी संचालक बताते हैं कि प्राइवेट वाले आरटीए में लम-शम में मासिक के हिसाब से टैक्स अदा करने की आवश्यकता नहीं होती है. ऐसे में हिसाब कभी नहीं लग पाता, कि कितनी सवारी बस में बैठी और कितना टैक्स बना है.
बसों की डिमांड की गई
रोडवेज के डीआई रोहतास ने बताया कि रोडवेज बेड़े में हाल ही में करीब 10 नई बसें शामिल हुई थी. तथा और बसों की डिमांड की गई है, जैसे ही नई बसें मिलेंगी, उन्हें वंचित रूटों पर भी चलाया जाएगा.
प्राइवेट बसों को चेक किया जाता
दूसरी ओर आरटीए कार्यालय के अधिकारी राजकुमार ने बताया कि समय-समय पर प्राइवेट बसों को चेक किया जाता है. जो नियम के विरुद्ध चलती हुई पाई जाती है.उनके विरुद्ध कार्यवाही करते हैं.