Haryana Roadways : हरियाणा रोडवेज चंडीगढ़ डिपो में हुआ 1.9 करोड़ का फर्जी घोटाला , रोडवेज विभाग ने 5 साल बाद दिए जाँच के आदेश
हरियाणा रोडवेज के चंडीगढ़ डिपो में 1.9 करोड़ रुपये के फर्जी बिल घोटाले के मामले में 5 साल बाद फिर से जांच शुरू हो गई है.परिवहन विभाग ने इस संबंध में एक विशेष अधिकारी को जांच की जिम्मेदारी सौंपी है, आशंका है कि इस मामले में न केवल क्लर्क शामिल था, बल्कि ट्रेजरी अधिकारियों की भी मिलीभगत थी.
इस मामले में जांच अधिकारी ने ट्रेजरी विभाग, हरियाणा से 1 अप्रैल 2015 से 31 जुलाई 2017 तक चंडीगढ़ ट्रेजरी कार्यालय में तैनात ट्रेजरी अधिकारियों का विवरण भी मांगा है. इस संबंध में परिवहन विभाग के जांच अधिकारी की ओर से ट्रेजरी विभाग के महानिदेशक को पत्र लिखा गया है. पत्र में कहा गया है कि ट्रेजरी विभाग में फर्जी बिल वाले अवधि के दौरान तैनात डीलिंग ऑफिसर, सहायक ट्रेजरी ऑफिसर और ट्रेजरी ऑफिसर की सूची दी जाए, पत्र में यह भी कहा गया है कि ट्रेजरी विभाग के अधिकारियों की पोस्टिंग अवधि के साथ-साथ उनकी इस मामले में भूमिका भी बतायी जानी चाहिए.
बिल की जांच किये बिना ही जल्दबाजी में राशि का भुगतान कर दिया गया
इस घोटाले में अभी तक केवल आरोपी रोडवेज क्लर्क संजय की ही गिरफ्तारी हो सकी है. इनके अलावा जालसाजी के आरोप में अप्रैल में भिवानी के प्रह्लाद, महेंद्रगढ़ के रतन सिंह, चरखी दादरी के राजकुमार, राजस्थान के चुरू जिले के विनोद सहमत, दिल्ली के अंकुर को गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन आज तक किसी भी कोषागार पदाधिकारी के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गयी, जबकि विपत्रों का भुगतान कोषागार पदाधिकारी के बिना नहीं हो सकता.
उस समय के कोषागार अधिकारियों ने बिना किसी जांच पड़ताल के फर्जी बिलों पर भारी भुगतान कर दिया. इसलिए अब ये ट्रेजरी ऑफिसर सरकार के रडार पर आ गए हैं. सूत्रों का दावा है कि चंडीगढ़ पुलिस ने उस समय के तीन ट्रेजरी अधिकारियों से पूछताछ की थी, लेकिन बाद में उन्हें छोड़ दिया गया था. यह भी बताया जा रहा है कि उस समय के ट्रेजरी अधिकारी अब प्रमोशन पाकर विभाग में ऊंचे पदों पर तैनात हैं.
इस घोटाले का खुलासा 2018 में हुआ था
इस घोटाले का खुलासा अक्टूबर 2018 में हुआ था. यह मामला तत्कालीन चंडीगढ़ वर्कशॉप के जीएम आरके गोयल की शिकायत पर दर्ज किया गया था. आरोप है कि क्लर्क संजय ने हरियाणा रोडवेज सेंट्रल वर्कशॉप, करनाल और हरियाणा इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन, गुरुग्राम के बिलों में गड़बड़ी कर फर्जीवाड़ा किया था. इसके लिए पहले रकम ट्रांसफर करने के लिए एक फर्जी फर्म बनाई गई.