Sonipat News : दो विभागों में उलझी जमीन, जमीन HSV की लेकिन रोडवेज विभाग ने निगम को दिए 17 करोड़ रूपये

Sonipat News :- सोनीपत शहर में जाम की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इस समस्या को दूर करने के लिए बस स्टैंड को बस कोर्ट के रूप में जीटी रोड पर जाट जोशी गांव की जमीन पर बनाया जाना है। लेकिन यह बस प्रोजेक्ट दो विभाग की जमीन में उलझ गया है। यह बस पोर्ट 9 एकड़ की जमीन पर बनने वाला था। इसके लिए रोडवेज विभाग ने साडे 17 करोड़ की राशि भी नगर निगम को दे दी थी। लेकिन अब पता चला है कि यह जमीन नगर निगम की है ही नहीं। इस जमीन को तो 1987 में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण अधिग्रस्त कर चुका है।

 

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Sonipat शहर में दो विभाग के बीच उलझी बस प्रोजेक्ट की जमीन

इस जमीन को 2018 में रोडवेज के नाम ट्रांसफर किया गया था। इस जमीन का खुलासा जब हुआ जब जमीन पर काम शुरू करने के लिए विभाग ने उच्च स्तर पर संपर्क किया और फाइल पर रेड मार्क होने के कारण एचएसवीपी इस जमीन को लेकर एनओसी नहीं दे रहा था। इस वजह से जमीन पर काम शुरू नहीं हो पाया।  सोनीपत महानगर विकास प्राधिकरण का प्रस्ताव पारित होने के बाद सोनीपत उपायुक्त ने बस पोर्ट को लेकर काम शुरू करने के आदेश जारी कर दिए थे। अधिकारी इस मामले की जांच में जुटे हुए हैं।

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Sonipat

1987 में ही हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने जमीन को कर लिया था अधिग्रस्त

रोडवेज अधिकारियों ने इस जमीन पर काम शुरू करने के लिए कागजी कार्रवाई व अन्य औपचारिकताएं पूरी करने के लिए मुख्यालय से संपर्क किया, तब फाइल पर रेड मार्क यानी लाल निशान होने के कारण इस पर काम शुरू नहीं हो पाया‌ रिकॉर्ड से पता लगा है कि यह पंचायती जमीन 1987 में ही एचएसवीपी ने अधिग्रस्त कर ली थी। वही 2018 में इस जमीन को सरकार के आदेश पर नगर निगम ने रोडवेज विभाग ट्रांसफर कर दिया था। सोनीपत में बढ़ती आबादी के कारण जाम की समस्या बनी रहती है।

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इस वजह से शहर से बाहर नए बस स्टैंड को लाने की योजना करीब 5 साल से बनाई जा रही थी, जिसके तहत नगर निगम के अंतर्गत आने वाले गांव जाट जोशी में करीब 9 एकड़ पंचायती जमीन को नगर निगम ने रोडवेज विभाग के नाम ट्रांसफर कर दिया था। इसके बदले विभाग साडे 17 करोड रुपए भी दे चुका है ।

जमीन पर चार्जिंग स्टेशन बनाने के प्रोजेक्ट हो गए थे तैयार

इस जमीन पर बस पोर्ट बनने से पहले चार्जिंग स्टेशन बनाने की योजना बनाई गई थी। इलेक्ट्रिक बसों को चार्ज करने के लिए यहां चार्जिंग पॉइंट बनाए जाने थे। जिसके लिए करीब 3 एकड़ जमीन में प्रोजेक्ट तैयार किया गया था। इस प्रोजेक्ट पर रोडवेज विभाग ने कागजी कार्रवाई का निर्माण कार्य करने की शुरुआत की योजना भी तैयार कर ली थी।

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लेकिन कागजी कार्रवाई के दौरान पता लगा कि यह जमीन दो विभागों के बीच फंसी हुई है। जब तक इस जमीन के मालिकाना हक्का का नहीं पता लगेगा तब तक इस पर कोई काम शुरू नहीं किया जाएगा।

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