Haryana Roadways : रोडवेज को हो रहा प्र्तेक दिन घाटा आवंदनी 39 रूपये और खर्चा 73 रूपये प्रतेक किलोमीटर के हिसाब से हो रहा है
चंडीगढ़ : हरियाणा रोडवेज(Haryana Roadways ) को अपनी बसों को चलाने में प्रति किलोमीटर 33 रुपए का घाटा उठाना पड़ रहा है. हरियाणा राज्य परिवहन को प्रति किलोमीटर 72.83 रुपए का खर्च आ रहा है. जबकि इसके मुकाबले आमदनी मात्र 39.23 रुपए की हो रही है. ऐसे में लगातार रोडवेज का घाटा बढ़ता चला जा रहा है. साल 2022-23 में घाटा बढ़कर 995. 92 करोड़ रुपए हो गया है. इससे पहले 2021-22 में कुल घाटा 931 करोड़ रुपए था. पिछले साल रोडवेज को कुल 64 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है.
आंकड़ों के मुताबिक 2014-15 के वित्तीय वर्ष में यह घाटा 447 करोड रुपए था. पिछले 9 साल में 548 करोड़ रुपए का घाटा बढ़ा है, जो औसतन 60 रुपए प्रति साल बनता है. 2014-15 में रोडवेज की कुल प्राप्तियां 37.22 रुपए प्रति किलोमीटर के मुकाबले 26.89 रुपए प्रति किलोमीटर रही थी. इसी तरह 2021-22 में, रोडवेज ने प्रति किमी 38.56 प्राप्तियां अर्जित की. जबकि खर्च बढ़कर 73.45 रुपए प्रति किलो मीटर रहा था.
घाटे के कारण
42 श्रेणियों में मुफ्त यात्रा की सुविधा से रोडवेज पर वित्तीय बोझ बढ़ता है.
60 साल तक के वरिष्ठ लोगों को 50 प्रतिशत रियायत के साथ किराए में छूट.
पिछले 8 साल किराया बढ़ाने के प्रस्ताव बने ,लेकिन सरकार ने पास नहीं किए.
डीजल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं, इसके मुकाबले खर्च कम नहीं हुए.
बसे रोजाना 8.88 लाख किलोमीटर की दूरी करती है तय
रोडवेज के पास इस समय 3143 बसों का बेड़ा है. इनमें बसों में औसतन रोजाना 8.88 लाख किमोमीटर की दूरी तय करती है. साथ ही औसतन रोजाना 5.15 लाख यात्री यात्रा करते हैं. 2021-22 में रोडवेज बसों की दैनिक सकल दूरी 6 लाख किमी थी. और दैनिक यात्रियों की संख्या 4 लाख से अधिक थी. इसके अलावा 2200 और बसें बेड़े में शामिल करने की योजना बनाई जा रही है.
घाटे से उबरने की उम्मीद
सरकार ने रोडवेज बसों में ई टिकटिंग लागू की है. इससे गड़बड़ी रुकेगी, और आय बढ़ने के आसार हैं. दूसरे 6 जिलों में पायलट आधार पर नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) का प्रयोग शुरू किया गया है. इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा. इसके अलावा गड़बड़ी रोकने के लिए बसों में सेंसर प्रणाली (आरएलडीएस) को लागू करने का भी प्रस्ताव दिया जा रहा है.
हरियाणा रोडवेज (Haryana Roadways )नफे और नुकसान के लिए है. यह आम जनता की जरूरत के लिए चलाई जा रही है. राजस्व घाटे को रोकने के लिए अभी ई टिकटिंग लागू की है. इससे गड़बड़ी रुकेगी,साथ ही आय भी बढ़ेगी. घाटे का कारण बीच में कोरोना काल और आंदोलन रहे हैं. इससे रोडवेज को नुकसान उठाना पड़ता है. पिछले 8 साल में किराए में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है,ताकि जनता को सस्ते दामों पर परिवहन मुहैया हो सके. -मूलचंद शर्मा, परिवहन मंत्री।