Roadways News : हरियाणा रोडवेज में नकली लाइसेंस से चालक 27 साल तक दौड़ाता रहा बस , अब हुआ बर्खास्त
करनाल :- कोई भी व्हीकल चलाने से पहले व्यक्ति को ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना जरूरी होता है। अगर व्यक्ति के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है तो उसे व्हीकल चलाने की परमिशन नहीं मिलती है। हरियाणा रोडवेज में बस चलाने के लिए भी पहले चालक को लाइसेंस लेना जरूरी होता है।
हर रोज हरियाणा रोडवेज से हजारों लोग सफर करते हैं। इन सभी यात्रियों की जिंदगी की जिम्मेदारी चालक पर होती है। लेकिन करनाल डिपो में एक चालक पिछले 27 साल से फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस से बस दौड़ा रहा है। अगर हम आम भाषा में कहें तो यह चालक यात्रियों की जिंदगी के साथ पिछले 27 साल से खिलवाड़ कर रहा है।
पिछले 27 साल से एक चालक ने फर्जी लाइसेंस से दौड़ाई हरियाणा रोडवेज बस
शिकायत मिलने के बाद रोडवेज विभाग के अधिकारी ने चालक की जांच की और उसके फर्जी लाइसेंस को रद्द करके उसे विभाग से बर्खास्त कर दिया। चालक ने नियुक्ति के समय असम परिवहन विभाग का फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस दिखाया था। जब लाइसेंस की जांच की गई तब पता चला कि असम परिवहन विभाग द्वारा ऐसा कोई लाइसेंस जारी नहीं किया गया था।
जांच के बाद चालक को किया गया बर्खास्त
कुछ समय पहले अभय सिंह नामक एक व्यक्ति ने ई मेल से रोडवेज विभाग के प्रधान सचिव को एक शिकायत भेजी थी, जिसमें हरियाणा रोडवेज बस के एक चालक के लाइसेंस को फर्जी बताया गया था। इसके बाद अधिकारियों ने जांच शुरू की और फर्जीवाड़ा उजागर हुआ। विभाग की तरफ से कार्रवाई की गई और एक पत्र में बताया गया कि चालक सुखविंदर सिंह की प्रथम नियुक्ति सितंबर 1997 में चालक के पद पर हुई थी। उस दौरान सुखविंदर ने असम की राजधानी गुवाहाटी लाइसेंस अथॉरिटी की तरफ से जारी लाइसेंस को प्रस्तुत किया था।
सुखविंदर के लाइसेंस की पुष्टि के लिए परिवहन विभाग गुवाहाटी में सत्यता के लिए पत्र लिखा गया। गुवाहाटी के अधिकारियों ने बताया कि इस नाम से कोई लाइसेंस उन्होंने जारी नहीं किया है। इससे साफ जाहिर होता है कि चालक ने नौकरी पाने के लिए फर्जी लाइसेंस दिखाया था। इसके बाद अब इस चालक के लाइसेंस को रद्द कर दिया गया और दोषी पाते हुए सजा की पुष्टि की और चालक की सेवाएं तुरंत प्रभाव से बर्खास्त करने के आदेश दिये।